New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि शिक्षकों को सेवा में बने रहने या पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) लागू होने से पहले नियुक्त ऐसे शिक्षकों, जिनकी नौकरी पांच वर्ष से अधिक बची है, को दो वर्ष के भीतर TET पास करनी होगी।
यदि वे तय समय सीमा में TET पास करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या उन्हें जबरन सेवानिवृत्त किया जा सकता है।
पांच वर्ष से कम सेवा बची हो तो TET जरूरी नहीं, लेकिन पदोन्नति पर रोक
पीठ ने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की नौकरी पांच वर्ष से कम बची है, उन्हें TET पास करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इस अवधि में उन्हें पदोन्नति नहीं मिलेगी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने अंजुमन इशात-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र सरकार सहित कई अन्य की ओर से दाखिल 87 अपीलों पर यह फैसला सुनाया।
2014 के प्रमाटी फैसले पर उठाए सवाल, सात जजों की बेंच गठित करने का आग्रह
पीठ ने वर्ष 2014 में पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा ‘प्रमाटी एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट’ मामले में पारित उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि RTE Act 2009 अल्पसंख्यक स्कूलों, चाहे वे सहायता प्राप्त हों या गैर-सहायता प्राप्त, पर लागू नहीं है।
पीठ ने इस मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के समक्ष भेजते हुए इन मुद्दों की पड़ताल के लिए सात जजों की संविधान पीठ गठित करने का आग्रह किया है।