New Delhi News: देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने GST में बड़ा बदलाव किया है। पहले GST 1.0 में चार स्लैब रखे गए थे, लेकिन अब इसे घटाकर सिर्फ दो स्लैब कर दिया गया है। यह नया ढांचा 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। हालांकि, इस बदलाव को लेकर राज्य सरकारों ने अपने राजस्व नुकसान की चिंता जाहिर की है।
सरकार के अनुमान के मुताबिक, 2023-24 के उपभोग पैटर्न के आधार पर सालाना करीब 48,000 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है। राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी को दिए बयान में कहा कि इतना बोझ केंद्र सरकार को उठाना पड़ सकता है।
नुकसान पर क्या कहते हैं ब्रोकरेज फर्म्स? डिमांड बढ़ने से घाटा कम होने की उम्मीद
ब्रोकरेज फर्म्स का मानना है कि वास्तविक नुकसान इतना बड़ा नहीं होगा, क्योंकि जीएसटी सुधार से डिमांड में इजाफा हो सकता है। जैफरीज के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 में यह घाटा घटकर 22,000 से 24,000 करोड़ रुपये के बीच रह सकता है। फर्म का तर्क है कि टैक्स कटौती से महंगाई कम हो सकती है और ऐसे में रिजर्व बैंक 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
ब्रेनस्टीन के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकार पूंजीगत खर्च में कोई कटौती नहीं करती है तो यह घाटा केंद्रीय बजट का करीब 20 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ा सकता है। लेकिन यदि पूंजीगत खर्चों में 5 प्रतिशत की कटौती की जाती है तो यह असर घटकर केवल 5 बेसिस प्वाइंट रह जाएगा।
बाजार पर असर: बॉण्ड और शेयर मार्केट पर सीमित प्रभाव, ICRA ने किया स्वागत
UTI AMC के अनुसार, बॉण्ड मार्केट और शेयर बाजार पर इस बदलाव का असर सीमित रहेगा। वहीं ICRA ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि अमेरिकी हाई टैरिफ के दबाव से जूझ रहे उद्योगों के लिए यह सुधार सकारात्मक साबित होगा और बाजार की धारणा को मजबूत करेगा।